प्रीता का किरदार बहुत अच्छा लगा उन्होने हार नहीं माना तेज़ाब फेके जाने के बाद भी वो नहीं हारी और फ़ुटबाल खेला,ऐसी लड़कियां ही लडकियो की हिम्मत बढाती हैं